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शार्ट स्टोरी लेखन चेलैन्ज भाग 12 " दाता कौन?"

            रामगढ़ की रियासत में एक राजा राज करता था राजा बहुत ही धार्मिक था वह दान पुण्य भी बहुत करता था। वह अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखता था। उसकी प्रजा उससे बहुत खुश थी। उसके अपने राज् मे कोई भी भूखा नहीं  सोता था।


     राजा अपना भेष बदलकर अपनी प्रजा के दुःख सुख की जानकारी रखता था। राजा अपने राज्य के कर्मचारियौ की परीक्षा भी समय समय पर भेष बदलकर लेता रहता था।

   एकबार की बात है कि राजा शिकार खेलने अपने सिपाहियौ के साथ गया था। राजा शिकार खेलते हुए अकेला ही बहुत दूर निकल  गया।

     राजा अकेला ही  था वह जंगल में अपने नगर का रास्ता भूल गया। अब रात भी होगयी थी। राजा बिल्कुल अकेला था आस पास कोई भी मानव नजर नही आरहा था जिससे रास्ता पूछा जा सके ।

     राजा डरकर इधर उधर घूमने लगा और अपनी रात बिताने के लिए कोई साधन की खोज करने लगा। कुछ दूरी पर उसे एक दीपक की रोशनी दिखाई दी।

     वह राजा उस रोशनी की सीध में अपने घोडे़ पर सवार होकर चल दिया। और कुछ समय में वह एक झौपडी़ के पास पहुँच गया। और वह अपने घोडे़ से नीचे उतर कर उस झौपडी़ के दरवाजे को खट खटाने लगा।

    उसकी आवाज सुनकर एक बृद्ध पुरुष  बाहर आया और बोला," मै आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ।"

   राजा ने अपना परिचय दिया और बो।ला," मै अपने नगर का रास्ता भूल गया हूँ और रात में अब कहीं जा भी नहीं सकता क्यौकि रात मे ं जंगली जानवरौ का भी  डर है अतः मै आज रात आपकी झौपडी़ में रहना चाहता हूँ क्या मुझे आज रात को रुकने की जगह मिलेगी।

     बृद्ध पुरुष ने उत्तर  दिया," अवश्य  आपका स्वागत है महानुभाव । मुझ गरीब से जैसी सेवा बनेगी मै आपका स्वागत करने की कोशिश करूँगा "

   उसने उस राजा को उसके पास उपलब्ध अच्छे से अच्छा भोजन करवाया और उसे रात सोने के लिए जगह दी।

    राजा उसके सत्कार व सेवा भाव से बहुत प्रसन्न होगया। वहाँ से बिदा लेते समय वह उस बृद्ध पुरुष से बोला," आपको किसी भी तरह की सहायता की आवश्यकता हो तो मेरे नगर मे आकर मुझसे मिल लेना। मै आपकी हर तरह से सहायता करने की कोशिश करू़गा।

    कुछ समय बाद बृद्ध पुरुष की बेटी की शादी थी। उसके पखस वन की कमी थी। वह उस कमी को पूरी करने हेतु धन की इच्छा से राजा के नगर में गया।

    वह राजा से मिलने उसके भवन में पहुँच गया। उसने उसके सिपाहियौ से राजा कहाँ है तब उसके सिपाही बोले," महाराज तो भगवान के मन्दिर गये है।"

    उस बृद्ध पुरुष ने कभी भी मन्दिर देखा ही नही था अतः वह भी वही पहुँच गया।

   उस बृद्ध पुरुष ने वहाँ खडे़ सिपाही को पूछा," आपके महाराज यह क्या कर रहे है।

सिपाही ने उत्तर दिया," यह भगवान से कुछ मांग रहे है।"

     बृद्ध पुरुष बोला," यह भगवान से मांगकर मुझे दैगे इससे तो अच्छा है मै ही भगवान से सीधा माँग लूँगा। इन महाराज को बीच में किस लिए फसाया जाय ।"और  इतना कहकर वह भी मन्दिर में राजा के पीछे खडे़ होकर भगवान से सहायता माँगने लगा।

    इस तरह वह बृद्ध पुरुष बिना राजा से मिले ही जंगल में बापिस चला गया।

    जब राजा को पता चला कि जंगल से कोई बृद्ध पुरुष कुछ सहायता माँगने आया था परन्तु वबिना कुछ मागे ही वापिस चला गया।

    राजा ने उसके पास बहुत सा धन भिजवा दिया और अपने सेवकौ को यह मना कर दिया कि यह किसने भेजा है न बतायें। ऐसा ही हुआ। बृद्ध पुरुष को अनुमान था कि  यह भगवान ने ही भेजा है।

   इस कहानी से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें जो माँगना है वह  सीधे ईश्वर से ही माँगना चाहिए। 

 शार्ट स्टोरी  लेखन चेलैन्ज भाग  १२
15/05/2022

 जानर :- प्रेरक

नरेश शर्मा



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12 Comments

Kusam Sharma

03-Jun-2022 09:03 AM

Nice

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Naresh Sharma "Pachauri"

16-May-2022 09:13 PM

सभी साथियौ को धन्यवादजी

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Farida

16-May-2022 08:10 PM

👌👌

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